इक समंदर की कहानी याद आती है
बात बचपन की पुरानी याद आती है
ये मुक़र्रर दाद सब तो ठीक है लेकिन
उस ग़ज़ल की वो कहानी याद आती है
आइने में अपना चेहरा देखकर हर रोज़
वो सँवरती फिर दिवानी याद आती है
फ़ाइलातुन फ़ाइलुन के फेर में हो तुम
हमको ग़ज़लों में रवानी याद आती है
चाँद को ता-उम्र छत से तक रहे लेकिन
फिर गुज़ारी वो जवानी याद आती है
जब नहीं कोई बना था दोस्त मेरा तब
आपकी वो मेहरबानी याद आती है
अब मदद करने यहाँ कोई नहीं आता
दर्द में वो बे-ज़बानी याद आती है
इश्क़ जब से हो गया उस से मुझे तब से
उसकी वो जादू बयानी याद आती है
रोज़ लिखता है 'ललित' ग़ज़लें नई यारो
वो ख़ुदा की मेहरबानी याद आती है
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