हराफ़त से मिली जो कामयाबी है
दिखाता है तुझे कितनी शिताबी है
ग़लत राहों में अच्छे लोग मिलते हैं
तिरी दुनिया में रब कुछ तो ख़राबी है
तिरी दहलीज़ पे जो लड़खड़ाया था
उसे भी थाम वो अदना शराबी है
तुम्हारी बात पे वो ग़ौर कर लेगा
ग़नीमत है कि वो हाज़िर-जवाबी है
दिखा दे ज़िंदगी जब हासिल-ए-मतलब
समझ लेना वही साल-ए-हिसाबी है
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