तुझे मेरे भी सीने में धँसे नश्तर नहीं मिलते
अगर इस भीड़ में दुश्मन मिरे हम-सर नहीं मिलते
अमीरी की परत जब आदमी पे रोज़ चढ़ती है
ज़बाँ वैसी नहीं मिलती वही तेवर नहीं मिलते
मिरी इस ज़ीस्त से कुछ दिन मुझे भी कम कराने हैं
बहुत ढ़ूँढ़ा ख़ुदा लेकिन तिरे दफ़्तर नहीं मिलते
बताएँ क्या ही कितने आज सरगर्दां हुए हैं हम
कभी साक़ी नहीं मिलते कभी साग़र नहीं मिलते
जनाज़े पे मिली उस इक तवाइफ़ ने कहा मुझको
यहाँ तो सोग बरपा है,यहाँ बिस्तर नहीं मिलते
हमारी नौकरी का मसअला है क्या करें अब हम
करीबी यार हो कर के भी हम यक-सर नहीं मिलते
बड़ी ही दूर ले आए हमें ये क़ाफ़िले देखो
निखिल इस सम्त में अब मील के पत्थर नहीं मिलते
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