बला-ए-ना-गहानी से बहुत पैसा बनाया है
बशर ने जाँ-सितानी से बहुत पैसा बनाया है
किसी का घर जला देखा किसी का घर बना देखा
किसी ने फिर कहानी से बहुत पैसा बनाया है
ये बंदूक़ें चली हैं जिस किसी शाने पे रख कर के
उसी ने सुक-निशानी से बहुत पैसा बनाया है
सितमगर ख़्वाहिशें ले कर अदब से जी रहें होंगे
जहाँ रेशा-दवानी से बहुत पैसा बनाया है
यहाँ बैठे-बिठाए ही बड़ी तनख़्वाह ले कर वो
कहेंगे जाँ-फ़िशानी से बहुत पैसा बनाया है
तिरे दो ख़ून के क़तरे तिरे आँसू छुपा लेते
मगर इनकी रवानी से बहुत पैसा बनाया है
ग़ज़लकारों के हाथों से कलम को छीन कर सब ने
ग़लत शहर-ए-जवानी से बहुत पैसा बनाया है
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