बुरा यह वक़्त है तो इससे क्या तुम हौँसला करिये

  - Prashant Sitapuri

बुरा यह वक़्त है तो इससे क्या तुम हौँसला करिये
दुआओं से बदलती हैं लकीरें सो दुआ करिये

मुझे ग़र मानते हो दोस्त तो इक ये कहा करिये
निबाहें तौर दुनिया का अजी मुझसे दग़ा करिये

रिवाज़ेँ , रस्म ए दुनिया देखकर सीखा है ये मैंने
लगे जब आग घर में अब किसी के तो हवा करिये

मिलेगी वक़्त पर मंज़िल सभी को बात यह तय है
मगर इक शर्त है हर काम अपना बा-वफ़ा करिये

वबा का दौर है सहमा हुआ है आदमी मौला
सभी हैं खो रहे अपने रहम कुछ तो ख़ुदा करिये

मैं तुमको चाहता हूँ सो तेरी हर बात मानी है
मुहब्बत में इबादत के अलावा और क्या करिये

किसी के साथ तुम नेकी करोगे तो भला होगा
सो मेरे यार जितना हो सके उतना भला करिये

  - Prashant Sitapuri

More by Prashant Sitapuri

As you were reading Shayari by Prashant Sitapuri

Similar Writers

our suggestion based on Prashant Sitapuri

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari