इस तरह जो देखोगे बार बार आँखों में - Shajar Abbas

इस तरह जो देखोगे बार बार आँखों में
तो उतर ही आएगा तुमसे प्यार आँखों में

आँखें बंद करता हूँ दर्द बढ़ने लगता है
फूल ने चुभाए हैं कितने ख़ार आँखों में

अपने दिल पे फ़ुर्क़त के अन गिनत निशाँ लेकर
ख़्वाब रोज़ मरते हैं तीन चार आँखों में

जब से ये सुना मैंने है ये वस्ल का मौसम
आ गई है ख़्वाबों की इक बहार आँखों में

तुम पलट के आओगे सिर्फ़ इस भरोसे पर
रोज़ साँस लेता है इंतिज़ार आँखों में

भूले मय की लज़्ज़त को मयकदे के रस्ते को
झाँक ले अगर कोई बादा ख़्वार आँखों में

- Shajar Abbas
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