वो क्या था वो हाँ दार का मतलब नहीं पता
यानी कि तुमको प्यार का मतलब नहीं पता
अम्मी से मार खाए पर अब्बू से बच गए
फिर तुमको अस्ल मार का मतलब नहीं पता
वो जो समझ रहे हैं मेरे दिल को दिल उन्हें
हो सकता है दरार का मतलब नहीं पता
यानी वो राह-ए-इश्क़ न था जिसपे तुम चले
वर्ना न कहते ख़ार का मतलब नहीं पता
फूलों से दोस्ती वहीं काँटों से दुश्मनी
तुमको तो फिर बहार का मतलब नहीं पता
जो लोग मुझसे कहते हैं छोड़ो ये शाइरी
शायद उन्हें वक़ार का मतलब नहीं पता
अफ़सोस कहते कहते ‘सफ़र’ मर गया मगर
दुनिया को अब भी प्यार का मतलब नहीं पता
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