जैसे तू रहती है हम भी ज़िंदगी कैसे रहें
साथ रह के भी किसी के अजनबी कैसे रहें
पहले हम अनजान थे फिर आश्ना फिर दोस्त पर
और बढ़ो आगे कि अब भी दोस्त ही कैसे रहें
वक़्त के तो साथ आदत पड़ ही जाती है मगर
मस'अला ये है कि हम तन्हा अभी कैसे रहें
जा रही थी तो हमारा दिल भी ले जाती कि अब
दिल तो दिल, दिल में तेरी लेके कमी कैसे रहें
दोस्त, हमदम, आश्ना सब रह चुके हैं हम मगर
ख़ुश जिसे कहते हैं यारो हाँ वही कैसे रहें
हम ‘सफ़र’ पहली मुहब्बत रह चुके हैं बारहा
पर किसी की बनके चाहत आख़िरी कैसे रहें
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