पहले ख़ाके में रंग भरना है
फिर तेरे बाल-ओ-पर कतरना है
आपसे इश्क़ हो गया है पर
मुझको इस बात से मुकरना है
बद-तमीज़ी मुझे भी आती है
काम लेकिन नहीं ये करना है
आप सब जाइए हवेली में
झोपड़ी में मुझे ठहरना है
तू है कुंदन तो आग ही में जल
इससे ज़्यादा अभी निखरना है
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