तुम्हें अपना समझते थे तुम्हें अपना बनाया है
ये करवा चौथ आया है तभी तो चाँद आया है
तुम्हारे बिन गुज़र जाए कभी वो दिन नहीं आए
हसीं महफ़िल हुई सारी जहाँ ये जगमगाया है
गुज़रती सैकड़ों रातें तभी ये रात आई है
ये तारे टिमटिमाए हैं ये अंबर मुस्कुराया है
सुलगता तन तरसते मन अधूरा ख़्वाब रहता है
तुम्हारे वास्ते हमने ये घर आँगन सजाया है
चलो ये भूल जाते हैं कोई शिकवे गिले भी थे
हमें तुम प्यार कर लो जी हमें भी प्यार आया है
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