तुम्हें अपना समझते थे तुम्हें अपना बनाया है - Afzal Sultanpuri

तुम्हें अपना समझते थे तुम्हें अपना बनाया है
ये करवा चौथ आया है तभी तो चाँद आया है

तुम्हारे बिन गुज़र जाए कभी वो दिन नहीं आए
हसीं महफ़िल हुई सारी जहाँ ये जगमगाया है

गुज़रती सैकड़ों रातें तभी ये रात आई है
ये तारे टिमटिमाए हैं ये अंबर मुस्कुराया है

सुलगता तन तरसते मन अधूरा ख़्वाब रहता है
तुम्हारे वास्ते हमने ये घर आँगन सजाया है

चलो ये भूल जाते हैं कोई शिकवे गिले भी थे
हमें तुम प्यार कर लो जी हमें भी प्यार आया है

- Afzal Sultanpuri
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