ग़म ऐसा चाहिए कि मुसलसल लगे मुझे
रक्खूँ जहाँ भी पैर मैं दलदल लगे मुझे
तू इश्क़ करके यार मिरा होश तो उड़ा
ऐसा उड़ाना यार कि अव्वल लगे मुझे
कुछ पेड़ और चार परिंदे ख़रीद लूँ
फिर यूँ करूँ शुमार कि जंगल लगे मुझे
कल शाम जिसकी याद में बेहोश हो गया
भर्ती किया गया मुझे बोतल लगे मुझे
कमरे की फ़र्श और बहाया गया लहू
जब भी नज़र पड़े मिरी मक़्तल लगे मुझे
किस पीर की नज़र का करम हो गया बता
जो इश्क़ में पड़े थे वो पागल लगे मुझे
चल इस तरह से बोल लगे बात सब सही
तू झूठ ऐसा बोल कि अफ़ज़ल लगे मुझे
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