तुम्हारे ग़म को मैं अपना चुका हूंँ अब नहीं आना
मैं ज़ख़्मों पर नमक लगवा चुका हूंँ अब नहीं आना
गई थी छोड़ कर जिस लड़के को तन्हा बहुत पहले
उसे तो मैं कहीं दफना चुका हूंँ अब नहीं आना
बड़ी मुश्किल में जा कर दिल में ये दीवार बन पाई
मोहब्बत ईटों में चुनवा चुका हूंँ अब नहीं आना
तुम्हारी याद के नाखु़न ख़रोचें हैं मिरे दिल को
ज़बान-ए-दिल को पर सिलवा चुका हूंँ अब नहीं आना
मुसलसल चीख़ते तुम को बुलाते थक गया हूंँ मैं
तुम्हारे नाम से उकता चुका हूंँ अब नहीं आना
सुलग कर रात दिन दिल बन गया था हिज्र में शोला
मैं अब इस आग को भड़का चुका हूंँ अब नहीं आना
डराती थी कभी मुझ को जो तन्हाई मैं दिल को अब
उसी की आँच पर धड़का चुका हूंँ अब नहीं आना
हमारे दर्द का मरहम न कुछ और है न अब तुम हो
मैं चारासाज़ को दिखला चुका हूंँ अब नहीं आना
कि शायद देख ना पाए तिरी आंँखें मिरी हालत
मै ख़ुद को इस क़दर तड़पा चुका हूंँ अब नहीं आना
अब आगे तो नहीं मुम्किन सुकूंँ को ढूंँढना अहमद
उसे कहना मैं पीछे जा चुका हूंँ अब नहीं आना
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