अपने दिल की ज़मीं के आखिरी कोने में कहीं
माज़ी को दफना के आऊंँगा , चला जाऊंँगा
सहरा को सर्द हवा ने किया है इतना खु़श्क
रेत पर दरया बनाऊंँगा , चला जाऊंँगा
As you were reading Shayari by Faiz Ahmad
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