छोड़ के ख़ुशियाँ ग़म की इबादत कर लूँ क्या
इश्क़ की जानाँ मैं भी तिलावत कर लूँ क्या
साथ तुम्हारा बेहद अच्छा लगता है
क्या कहती हो तुम से मोहब्बत कर लूँ क्या
कल तो तुम भी छोड़ के चल दोगी मुझ को
आज तुम्हारे इश्क़ की बैअत कर लूँ क्या
खाई थीं कसमें अब न करूँगा इश्क़ कभी
तेरी ख़ातिर ख़ुद से बग़ावत कर लूँ क्या
भूल चुके हैं हँसना अब तो लब मेरे
साथ तेरे हँसने की हिमाक़त कर लूँ क्या
काम की बातें कल परसों कर लेंगे हम
हुस्न की तेरे आज ज़ियारत कर लूँ क्या
गेसू तेरे नीम करूँ सिन्दूर से और
अपनी दुल्हन कह ने की जुर्अत कर लूँ क्या
कितने नख़रे तेरे उठाए साहिल ने
हो न ख़फ़ा तो आज शिकायत कर लूँ क्या
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