नसीब पर हँसे कि रोए चल पड़े - Aves Sayyad

नसीब पर हँसे कि रोए चल पड़े
हम इसलिए भी साथ तेरे चल पड़े

किसे दिखाते क्या लिखा है हाथ पर
सो हाथ हाथ में छुपा के चल पड़े

मलाल हो न ख़ामुशी का सीने में
बस इसलिए ही महफ़िलों से चल पड़े

शब-ए-फ़िराक़ हमसे आशना रही
तुम्हारा क्या है दिल को तोड़े चल पड़े

किसी की ज़िंदगी बदल के आ गए
किसी के रास्तों से हट के चल पड़े

कहा जो उसने कोई राब्ता नहीं
ख़ुतूत उसके मुँह पे मारे चल पड़े

न जाने किन हक़ीक़तों से दूर हैं
न जाने हम कहाँ से फेंके चल पड़े

जो उसके सारे झूठ सच बदल गए
सो हम भी हल्का मुस्कुरा के चल पड़े

अवेस तू सफ़र में कैसे आ गया
हमारा क्या है चलते चलते चल पड़े

सिफ़ारिशें भी दोस्तों की लग गईं
कि सय्यद आज खोटे सिक्के चल पड़े

- Aves Sayyad
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