"रिश्ता" - ABHISHEK RANJAN

"रिश्ता"

ज़िम्मेदारी मेरी मुझको रोकेगी
हर हरकत से पहले मुझको टोकेगी

घर के ख़ातिर सारे सुख का त्याग किया
उसका ही लोगों ने इस्तेमाल किया

जब से देखो 'रंजन' वो कंगाल बना
सबने देखो उनसे हाँ मुख मोड़ा है

बस पैसों की आस में सब अब जीते हैं
रिश्तों से मतलब ही क्या है सबको अब

आज ज़रूरत होगी पास में आएँगे
मतलब निकल गया तो छोड़ के जाएँगे

ये कलयुग है इसमें ऐसा चलता है
सच्चा अच्छा देखो जल्दी मरता है
रिश्तों के ख़ातिर ही कोई जीता है

रिश्तों की आग़ोश में कोई पाप करे
कोई दिल से खेले रिश्ता नाश करे

'रंजन' इन चक्कर में बिल्कुल मत पड़ना
देखो रिश्ता सबका नाश कराएगा

- ABHISHEK RANJAN
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