जो सबके दिल में पैदा प्यार हो जाए
ज़मीं बंजर गुल-ओ-गुलज़ार हो जाए
लगेगा हर बशर फिर अपना आलम में
दिलों से ख़त्म गर दीवार हो जाए
हक़ीक़त में बनेगी दुनिया फिर जन्नत
सभी में गर तेरा दीदार हो जाए
छपे इंसानियत की ख़बरें बस 'दिलबर'
जहाँ में ऐसा हर अख़बार हो जाए
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