हो रहे हैं गिले एक तस्वीर से
टूटी फूटी हुई एक तक़दीर से
वो जो महफ़िल में कल ही मिले थे हमें
प्यार होने लगा उनसे शब-गीर से
उन निगाहों से घायल हर इक शख़्स था
कोई तुलना नहीं धार शमशीर से
उसको महबूब माने हैं गुलशन सभी
ख़ार गुल बन गए उसकी तौक़ीर से
वो फ़रिश्ते भी बुत में बदल ही गए
उसको देखा उजालों में तक्सीर से
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