मुझसे तुम ये क्यों कहते हो
मुझ बिन कैसे तुम रहते हो
ठहरी हैं कूँ तेरी आँखें
इन आँखों से क्या सहते हो
ख़ाइफ़ हो किन बातों से तुम
कूँ इतने सहमे रहते हो
चेहरा था इक ख़्वाबों में जो
उसको अपना क्यों कहते हो
लहरों ने गोदा है तुमको
क्यूँ फिर इनमें तुम बहते हो
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