रात भर दिल कई जलते होंगे
चाँद के क़ुर्ब में ढलते होंगे
राह-ए-दिल अश्क में खोई होगी
ख़्वाब तन्हाई में चलते होंगे
साज़ हिज्राँ के सदा-ए-ग़म में
ज़ख़्म फिर दिल के निकलते होंगे
साया-ए-गुल कभी महके होंगे
ज़िंदगी में कभी जलते होंगे
इक नई राह पे फिर से शायद
ख़्वाब आँखों में ही पलते होंगे
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