याद है क़िस्सा जो मैंने सुना था माई से

  - Harsh Kumar Bhatnagar

याद है क़िस्सा जो मैंने सुना था माई से
इन परिंदों को भी डर लगता है परछाई से

क्या ही उम्मीद लगाऊँ मैं ज़माने से अब
मैंने गाली भी बहन की सुनी है भाई से

यूँ तो सब लोग मुझे दोस्त समझते हैं मगर
काम पड़ते ही मुकर जाते हैं मित्राई से

  - Harsh Kumar Bhatnagar

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