दिल से बच्चों से प्यार किया क्या कहने
हंँसकर गाकर इक़रार किया क्या कहने
किस जिद्द-ओ-जहद से लम्हा जीते लेकिन
फिर भी ये सहरा पार किया क्या कहने
मयख़ाने में महसूस किया जब उस को
कुछ भी पीने इनकार किया क्या कहने
खेला कोई तो दाँव मुहब्बत करते
रुक-रुककर फिर इज़हार किया क्या कहने
फ़ौजी भाई क्या ख़ूब लड़े जज़्बे से
हमला लड़कर बेकार किया क्या कहने
भूली-बिसरी मासूम लगे चेहरे से
बच्चों सा ही फिर प्यार किया क्या कहने
आँखों में ख़ुशियाँ देख मनोहर उनके
फ़ौरन सबने इज़हार किया क्या कहने
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