मेरी आहों को खँगालोगे तो सब कह देंगीं

  - Nityanand Vajpayee

मेरी आहों को खँगालोगे तो सब कह देंगीं
उनकी तसवीरें उठाओगे तो सब कह देंगीं

मुझसे मत पूछो कटी हिज़्र की रातें कैसे
तुम मेरी आँखों में झाँकोगे तो सब कह देंगी

राज़ की बात ये है बात बनी ही न कोई
मेरी इन साँसों को नापोगे तो सब कह देंगी

इश्क़ दरिया कि समंदर कि उफनती सी नदी
घर की दहलीजों को लाँघोगे तो सब कह देंगी

मैं अगर कहने से बचता हूँ तो कुछ होगा सबब
मेरी इन ग़ज़लों से पूछोगे तो सब कह देंगी

  - Nityanand Vajpayee

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