मेरी आहों को खँगालोगे तो सब कह देंगीं
उनकी तसवीरें उठाओगे तो सब कह देंगीं
मुझसे मत पूछो कटी हिज़्र की रातें कैसे
तुम मेरी आँखों में झाँकोगे तो सब कह देंगी
राज़ की बात ये है बात बनी ही न कोई
मेरी इन साँसों को नापोगे तो सब कह देंगी
इश्क़ दरिया कि समंदर कि उफनती सी नदी
घर की दहलीजों को लाँघोगे तो सब कह देंगी
मैं अगर कहने से बचता हूँ तो कुछ होगा सबब
मेरी इन ग़ज़लों से पूछोगे तो सब कह देंगी
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