तू जो बेकार में दिन रात रुलाता है मुझे
बेवफ़ा ख़ुद है मग़र हाय बताता है मुझे
कौल था तेरा कि ताउम्र मुझे चाहेगा
छोड़ के बीच में बेबात ही जाता है मुझे
मैंने छोड़ा था ज़माने को तेरी ख़ातिर पर
तू ज़माने के लिए ऐसे दुखाता है मुझे
मैं तुझे मोम की मूरत ही समझता था मग़र
तू तो पत्थर की तरह बनके डराता है मुझे
रूह से प्यार मुझे ज़िस्म की चाहत तुझको
और तू प्यार में तोहमत भी लगाता है मुझे
ज़िन्दगी 'नित्य' हमारी भी गुजर जाएगी
नाख़ुदा तू है तो क्यों आँख दिखाता है मुझे
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