ख़ाक से ख़ाक तलक का ये फ़साना होगा
दिल तुम्हारा था तुम्हारा है तुम्हारा होगा
मुस्तक़िल दस्तकें देते रहे ये सोच के हम
बंद दरवाज़े के पीछे कोई रस्ता होगा
रिश्तो में कुछ तो वफ़ा की नमी भी दीजिएगा
सख़्त मिट्टी में भी पानी हो तो पौधा होगा
शाम होते ही उसी शख़्स की याद आती है
जिसे हम ने कभी सोचा था हमारा होगा
ये ग़ज़ल-गोई विरासत में नहीं मिलती है
ये हुनर आप को अश्कों से कमाना होगा
इश्क़ बदनाम गली है न गुज़रना यहाँ से
आप के पास जो कुछ भी है गवाना होगा
आसमानों की उड़ानों से उतरने के बाद
सूखी डाली ही परिंदों का ठिकाना होगा
Read Full