मीर जब शाख़ पे आएगा तो ख़ुशबू होगा
जौन जब आँख में आएगा तो आँसू होगा
रात के इतना सियह होने की सच्चाई में
ग़ालिब-ओ-फ़ैज़ के अशआर का जादू होगा
ऐसे कैसे कोई हो जाएगा अहल-ए-शायर
चोट खाया हुआ बैठा कोई आहू होगा
शेर के आख़िरी मफ़्हूम को पढ़कर देखो
कोई शायर के ख़वातीन का गेसू होगा
शेर कहना वो भी रस्मों से जुदा कह जाना
उसके फिर बाद भी कहता है तो साधू होगा
अपनी दुनिया को ज़रा और बढ़ाओ राकेश
कूप मंडूक से निकलेगा तो जुग्नू होगा
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