बे -वजह ज़ख़्म खाना नहीं चाहिए - Rakesh Mahadiuree

बे -वजह ज़ख़्म खाना नहीं चाहिए
दिल सभी से लगाना नहीं चाहिए

तुमको दिल में बसा के ये जाने हैं हम
दिल में सबको बसाना नहीं चाहिए

जिस तरह से रुलाया मुझे आपने
यूँ किसी को रुलाना नहीं चाहिए

वो किसी और की होके रुख़्सत हुई
अब तुम्हें हक़ जताना नहीं चाहिए

रात भर रोए हैं हम तेरे इश्क़ में
हमको वो दिन भुलाना नहीं चाहिए

रख दिया तेरे दर पे कलेजा सनम
अब तुझे आज़माना नहीं चाहिए

घर बहु आ गई बच्ची भी घर गई
अब तुम्हें घर में आना नहीं चाहिए

कल जले घर की राखों ने मुझसे कहा
घर किसी का जलाना नहीं चाहिए

- Rakesh Mahadiuree
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