हमारी आँख में तुमको कहीं भी ग़म नहीं दिखता - Rakesh Mahadiuree

हमारी आँख में तुमको कहीं भी ग़म नहीं दिखता
तुम्हीं बतलाओ क्या तुमको ज़रा सा कम नहीं दिखता

तुम्हारी ज़िंदगी में फ़िर उजाला कौन रक्खेगा
हमारे जैसा तो हमको कोई हमदम नहीं दिखता

हमारे नाले सुनकर के ज़माने चीख़ उठते हैं
मगर उस बेवफ़ा को क्यूँ हमारा ग़म नहीं दिखता

सही कहते हैं साथी एक दिन वो रोएँगे मुझको
अभी जिनको तबाही का मेरे आलम नहीं दिखता

तुम्हारे शहर में साथी मुहब्बत ही मुहब्बत है
हमारे शहर में हमको कोई हमदम नहीं दिखता

चलो माना ये मैंने पत्थरों को दिल नहीं होते
तो क्या 'राकेश' सच उसको तुम्हारा ग़म नहीं दिखता

- Rakesh Mahadiuree
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