किसी पल को अगरचे जान तेरी याद आ जाए
तो इस बीमार के लब पे वही नौशाद आ जाए
मुझे कल यूँ हुआ महसूस मेरे दिल के ख़ाने में
कि जैसे तलहटी को चीरकर फ़रहाद आ जाए
मुझे वो रेलगाड़ी में मिली और यूँ मिली यारो
कि जैसे आसमाँ से लौटकर फ़रियाद आ जाए
वो लड़की रेलगाड़ी में कभी यूँ ही मिली थी जो
कहीं से काश वो लड़की अमीनाबाद आ जाए
सितारों ने तुम्हारा नाम लेकर मुझसे ये बोला
कि आँखें बंद करके माँग लो जो याद आ जाए
सितारों ने फ़लक से आ के मेरा हाथ यूँ चूमा
कि जैसे भीगे मौसम में तुम्हारी याद आ जाए
ग़ज़ल सुनकर के सारे खो गए हैं अपनी दुनिया में
मगर शायर की ये उलझन कि थोड़ी दाद आ जाए
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