किसी पल को अगरचे जान तेरी याद आ जाए - Rakesh Mahadiuree

किसी पल को अगरचे जान तेरी याद आ जाए
तो इस बीमार के लब पे वही नौशाद आ जाए

मुझे कल यूँ हुआ महसूस मेरे दिल के ख़ाने में
कि जैसे तलहटी को चीरकर फ़रहाद आ जाए

मुझे वो रेलगाड़ी में मिली और यूँ मिली यारो
कि जैसे आसमाँ से लौटकर फ़रियाद आ जाए

वो लड़की रेलगाड़ी में कभी यूँ ही मिली थी जो
कहीं से काश वो लड़की अमीनाबाद आ जाए

सितारों ने तुम्हारा नाम लेकर मुझसे ये बोला
कि आँखें बंद करके माँग लो जो याद आ जाए

सितारों ने फ़लक से आ के मेरा हाथ यूँ चूमा
कि जैसे भीगे मौसम में तुम्हारी याद आ जाए

ग़ज़ल सुनकर के सारे खो गए हैं अपनी दुनिया में
मगर शायर की ये उलझन कि थोड़ी दाद आ जाए

- Rakesh Mahadiuree
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