यूँ तुमसे बिछड़ के कि साजन तुम्हारी - Rakesh Mahadiuree

यूँ तुमसे बिछड़ के कि साजन तुम्हारी
बहुत रो रही है सुहागन तुम्हारी

नगर ये नया है नई है हवाएँ
पुरानी बहुत है ये दुल्हन तुम्हारी

तुम्हारे अलावा नहीं चाहती कुछ
कि प्रियतम हमारे ये बिरहन तुम्हारी

अभी तक रची है बसी है यूँ साजन
हमारे कलेजे में धड़कन तुम्हारी

सखी तुम सभी उनसे मिलना तो कहना
बहुत याद करती है जोगन तुम्हारी

तुम्हारी थी है और हमेशा रहेगी
कि साजन हमारे ये जोगन तुम्हारी

जवानी के दिन भी यूँ तन्हा कटेंगे
मती फिर गई है न भगवन तुम्हारी

मुझे कल मिली थी नए रंग के संग
कि 'राकेश' भाई वो दुल्हन तुम्हारी

- Rakesh Mahadiuree
0 Likes

More by Rakesh Mahadiuree

As you were reading Shayari by Rakesh Mahadiuree

Similar Writers

our suggestion based on Rakesh Mahadiuree

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari