इतनी मुश्किल में मुझे छोड़ के जाने वाले
ख़ुश तो हैं न तुझे आसानी से पाने वाले ?
फिर नया हो गया आँखों में पुराना मंज़र
उसने पहने हैं वही कपड़े पुराने वाले
बस यह दिल है कि जो आवाज़ लगा देता है
मैंने रोका नहीं तुझको कभी जाने वाले
इक तेरे इश्क़ ने बर्बाद किया है मुझको
मैं यह कहता नहीं, कहते हैं ज़माने वाले
देख ठोकर से कहीं चोट न लग जाए तुझे
इतनी जल्दी में मेरा हाथ छुड़ाने वाले
खैरियत उनकी नहीं तेरी लिया करता हूँ
जो भी होते हैं तेरे शहर से आने वाले
कुछ ही लोगों की सदाओं में असर होता है
बाक़ी होते हैं फ़क़त शोर मचाने वाले
एक क़तरा भी तेरी आँखों में आँसू का न हो
तपते सेहरा में मेरी प्यास बुझाने वाले
चाहे वो झील हो, पर्बत हो, गुलिस्ताँ हो या मैं
सब हैं बेकार तेरे काम न आने वाले
तुम किसी दिन जो मुझे अपना बनालो आकर
चुप ये हो जाएंगे सब बातें बनाने वाले
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