हज़ारों इश्क़ की कहानियाँ यों ही सिमट गईं
न जाने कितने ही करों की याँ नसें भी कट गईं
कहीं हज़ारों चिट्ठियों से कुछ नहीं हुआ है तो
कहीं कुछेक उल्टियों से बाजियाँ पलट गईं
वो एक शख़्स अपने साथ रौनक़ें भी ले गया
लबों पे ख़ामुशी गले उदासियाँ लिपट गईं
क़रीब आने से मिज़ाज सबका ही बदल गया
घरों से याँ अमीरों की हवेलियाँ जो सट गईं
कहा कि नेटवर्क मसअला है बात कटने का
कि घंटों होने वाली बातें मिनटों में निपट गईं
असर भी हिज्र का हुआ है तो हुआ है इस तरह
कभी न पटने वाली याँ ख़मोशियाँ भी पट गईं
निकालने से भी नहीं निकाली जा रही हैं अब
कि यादें ज़ेहन में हमारे जोंकों सी चिपट गईं
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