तो क्या ऐसे ही रोना आ गया था ?

  - Shadab Javed

तो क्या ऐसे ही रोना आ गया था ?
नहीं !! वो.. याद लहजा आ गया था

उन्हें आंसू पिलाये जा रहे हैं
जिन्हें आंखों से पीना आ गया था

मैं अपनी ख़्वाहिशों को मार आया
ये मेरे ज़हन में क्या आ गया था

लतीफ़ा तो पुराना था मुझे बस
तेरे हंसने से हंसना आ गया था

तेरी फ़ोटो मसीहा है मसीहा
तेरी फ़ोटो से जीना आ गया था

ज़माना, धर्म, घर वाले, ख़ुद हम-तुम
हमारे बीच क्या- क्या आ गया था

तो क्या शादाब तुम उसको न भाए ?
तुम्हें तो शेर कहना आ गया था !

  - Shadab Javed

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