ग़म के शजरे कहाँ से मिलते हैं
दिल के इस आस्ताँ से मिलते हैं
जितने किरदार हैं ख़राबों के
सब मेरी दास्ताँ से मिलते हैं
आपको मौत की मुबारकबाद
आप मुझ बे अमाँ से मिलते हैं
हर फुलां से मैं मिल के कहता हूँ
आप शायद फुलां से मिलते हैं
अपना हर राज़ खोलना है मुझे
चल किसी राज़दां से मिलते हैं
उसके रंगों भरे दुप्पटे को
रंग सब आसमां से मिलते हैं
रोते रहिए कि रीत भी है यही
लोग आह ओ फुग़ां से मिलते हैं
अपने छप्पर पे रश्क आता है
जब किसी बे-मकां से मिलते हैं
उस की शादाबी लौट आती है
जब भी हम गुलसितां से मिलते हैं
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