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इतना आसान तो नहीं था इश्क़  - Shadab Javed

इतना आसान तो नहीं था इश्क़
अब तो करता है बच्चा बच्चा इश्क़

इश्क़ हा-मीम इश्क़ है यासीन
इश्क़ अलिफ़-लाम-मीम ताहा इश्क़

हम ने पाया है इश्क़ विरसे में
इश्क़ आदम है और हव्वा इश्क़

रौशनी छीने है निगाहों की
पूछो याक़ूब से कि है क्या इश्क़

थोड़े गंदुम के बदले में लेने
आई है मिस्र में ज़ईफ़ा इश्क़

इश्क़ में हुस्न भी रहा आगे
इश्क़ यूसुफ़ है और ज़ुलैख़ा इश्क़

याद है न वो किस्सा ए यूनुस
मछली के पेट में था ज़िंदा इश्क़

बन के मूसा की हसरत ए दीदार
तूर को नूर से जलाता इश्क़

हम को हासिल है अज़ ख़लीलुल्लाह
आग को बाग़ करने वाला इश्क़

बेटे से एड़ियां रगड़वाता
हाजिरा से सई कराता इश्क़

कितने मुर्दों को ज़िन्दगी दे दी
इश्क़ ए ईसा भी था ग़ज़ब का इश्क़

वक़्त ए मिलाद ए मुस्तफ़ाई पर
काबतुल्लाह को झुकाता इश्क़

देखो सहबा में मुर्तज़ा के लिए
डूबे सूरज को खींच लाया इश्क़

ज़ख़्म खा कर बिलाल हंसता है
दंग है देख कर उमैया इश्क़

आज भी लग रहा है कर्बल में
सर को पकड़े हुए है बैठा इश्क़

बाबा गंज ए शकर बताते हैं
मुझको शक्ल ए शकर मिला था इश्क़

अपने दांतों को ख़ुद ही तोड़ दिया
वाह क़रनी का ये अनूठा इश्क़

ग़ौस ए आज़म के एक इशारे पर
लौट आया है एक माँ का इश्क़

तलवा ए ग़ौस सर पे रखने को
अपनी गर्दन झुकाए बैठा इश्क़

एक कासे में हुक्म ए ख्वाजा पर
एक सागर समेट लाया इश्क़

इश्क़ शीरीं है इश्क़ है फरहाद
इश्क़ मजनूं है और लैला इश्क़

इश्क़ नदियों में फेंक देता है
और मेले में है गुमाता इश्क़

इश्क़ को हल्का जानने वालो
शहर का शहर फूँक देगा इश्क़

दिल में इक दर्द बन के बैठा था
आँख से अश्क बन के निकला इश्क़

वो कभी खुल के मुस्कुरा न सका
जिसने बर्बाद होते देखा इश्क़

ये जनाज़ा जो उठ रहा है न
कहते हैं इस को भी हुआ था इश्क़

आज के दौर में मेरे भाई
सिर्फ़ धोखा है सिर्फ धोखा इश्क़

देखो ! किस काम में मुझे लाए
मुझ निकम्मे का एक तरफ़ा इश्क़

ये दिलासा मुझे सँभाले है
अब किसे है नसीब सच्चा इश्क़

दिल ! तू बदनाम हो गया कैसे
क्या किया अच्छा अच्छा इश्क़

आओ शादाब उससे बोल ही दें
कौन सा इश्क़ यार कैसा इश्क़

- Shadab Javed

Ishq Shayari

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