बीमारी को पालोगे तो कैसे अच्छी हो जाएगी
चारागर का हाथ पकड़ लो कुछ आसानी हो जाएगी
अपनी अपनी मंज़िल पर सब जा कर ओझल हो जाएँगे
दुनिया के हर शख़्स की इक दिन हसरत पूरी हो जाएगी
कब तक मुझ पर ज़ुल्म करोगे मैं भी कब तक चुप बैठूंँगा
ऐसे तो दीवार खड़ी आँगन में यानी हो जाएगी
अब तक तो दिल ने मेरे इन आँखों को समझा रक्खा है
जब सैलाब इधर आएगा मुश्किल थोड़ी हो जाएगी
जब तक आप बुरा सोचेंगे कुछ भी प्यारा नहीं लगेगा
अपनी आँखें प्यारी कर लो दुनिया प्यारी हो जाएगी
जब तक तेरी याद है दिल में तब तक धक धक जारी है ये
लेकिन तब क्या होगा मेरा बंद घड़ी भी हो जाएगी
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