मैं भी उस दिन ख़ुशी से झूम जाता तो
तेरे होठों पे मेरा नाम आता तो
बड़ा मायूस हो कर घर गया था मैं
तेरे क़िस्से अगर मैं भी सुनाता तो
भरी महफ़िल में हो जाता तू भी बदमान
अगर मैं बेवफ़ा कह कर बुलाता तो
कि उसने हाथ की नस काट ली होगी
तेरी खा़तिर अगर मैं ज़हर खाता तो
तू मुझसे जिस तरह बातें बनाती थी
अगर मैं भी यूँ ही बातें बनाता तो
तू जैसे छोड़ कर मुझको गई थी जाँ
मैं भी ऐसे ही तुझको छोड़ जाता तो
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