रक़ाबत से ही है मोहब्बत में मानी
यही है फ़क़त शर्त-ए-इश्क़-ए-मजाज़ी
सराबी है सूरत ये क़ामत हबाबी
कि नाज़ा न हो तुम ये हस्ती है फ़ानी
ग़म-ए-इश्क़ से ज़ब्त-ए-ग़म पे रुके हैं
थे जो बे-मकाँ हो गए बा-मकानी
जहाँ तो मजाज़ी हक़ीक़त ख़ुदा है
ख़ुदा ही हक़ीक़ी ख़ुदा ही दवामी
है मौजूदगी तेरी सारे जहाँ में
ये क़ामत दराज़ी है तेरी निशानी
तुझे इश्क़ मुझसे मुझे इश्क़ तुझसे
तो पास-ए-वफ़ा फिर वही लन-तरानी
कहाँ था मैं लायक़ तेरी बन्दगी के
है तेरी इनायत ये बन्दा-नवाज़ी
था होना तुम्हें तो जवाब-ए-सवाल
बने तुम हो लेकिन जहाँ में सवाली
वो चेहरे सवाली ये चेहरे पे नालिश
यही तो है 'हैदर' जहान-ए-ख़राबी
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