है नहीं अब जो रिश्ता हमारा
कर रहा क्यों तू चर्चा हमारा
बाँधी थी तुमने हाथों घड़ी जब
ख़ुश था कितना ये चेहरा हमारा
इक तिरे माथे पर बोसा देकर
टूटता था यूँ रोज़ा हमारा
कहता हूँ सबसे रोता नहीं मैं
आँखें ही जाने गिर्या हमारा
तेरे जाने पे अब सोचता हूँ
था कभी तू ही साया हमारा
अब न कर हमसे बातें वफ़ा की
जानता है तू ग़ुस्सा हमारा
बाद तेरे बदल जाना है सब
छोड़कर बस ये लहजा हमारा
इश्क़ करने से पहले ऐ लड़कों
देख लेना ये कतबा हमारा
शायरी और ये नौकरी भी
दोनों से चलता ख़र्चा हमारा
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