विदा होते हुए माँ की वो रोती आँख देखी है
हवा ये शहर की अब तो चुभोती आँख देखी है
ज़माने की यहाँ ये रीत क्या है और कैसी है
यहाँ माँ बाप की अब मैंने रोती आँख देखी है
फ़क़त मैं चाहता रहना तो अपने गाँव में लेकिन
मगर मैंने तो तन्हाई को ढोती आँख देखी है
मिरा तो चैन अल्मोड़ा के छोटे गाँव में ही है
ग़मों से गाँव की सड़कें भिगोती आँख देखी है
यहाँ तो अश्क मेरे एक दिन हो बर्फ़ जाएँगे
यक़ीनन गाँव से अब शहर होती आँख देखी है
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