इतना मत इतरा अपने रख़्त के साथ
धँस न जाए कहीं तू तख़्त के साथ
ज़्यादा की भूख मार डालेगी
ज़िंदगी जीना सीख लख़्त के साथ
सब्र का हाथ थाम के चलना
बाक़ी सब कुछ मिलेगा बख़्त के साथ
ये रिवायत हदीसों में है लिखी
नर्मी से पेश आओ सख़्त के साथ
बाग़ उजड़ने पे बाग़बाँ रोया
पंछी रोते रहे दरख़्त के साथ
Read Full