पहले पहल तो इश्क़ ने उस पर किया असर
फिर धीरे धीरे मुझ पे भी होने लगा असर
मदहोश जो हुआ न कभी पी के ख़ुम के ख़ुम
दो चार प्यालों का भला उस पर हो क्या असर
दिल की न सुनने से सदा दिलबर की सुनने पर
पड़ता है आदमी पे फिर इसका बुरा असर
होगी भी हमको क्यूँ भला कल से कोई ग़रज़
मेहनत से कुछ हुआ न करेगी दुआ असर
दौलत गई तो बे सर ओ सामान हो गए
लेकिन नवाबी रह गई और रह गया असर
ले दे के एक ग़म ही बचा है हमारे पास
ये और बात कह दो इसे प्यार का असर
कोई मेरे ग़ुमाँ का तसव्वुर न कर सके
मेरी निगाह का पड़े इतना बुरा असर
उनके उसूल मुझको दिलो जाँ से हैं अज़ीज़
वालिद की सब नसीहतों ने कर दिया असर
ये जिस्म तो है आदमी का मुश्त ए उस्तुख़्वाँ
बाक़ी जो दिख रहा है वो है रूह का असर
ता उम्र हमको ज़ीनत ए दुनिया दिखी नहीं
हालाँकि हमपे दुनिया का दिखता रहा असर
दोहरा रहा हूँ ख़ुद को मैं लम्हात की तरह
होने लगा है मुझ पे भी तारीख़ का असर
Read Full