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Top 10 of
Praveen Sharma SHAJAR
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Praveen Sharma SHAJAR
इतना आसान काम कौन करे
हमको रुक के सलाम कौन करे
तुम ही बोलो हमारी यादों में
अपनी नींदें हराम कौन करे
ज़िंदगी छोड़ो एक शब तक भी
मुझसे आशिक़ के नाम कौन करे
तुमको जाना है तो बिछड़ जाओ
इसपे जीवन विराम कौन करे
ऐसे आशिक़ हज़ार मिलते हैं
आपके साथ शाम कौन करे
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Praveen Sharma SHAJAR
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वैसे मेरा फोन काट देते हो अच्छा करते हो
लेकिन उसके बाद रात तुम किस से साझा करते हो?
तुम बचपन का प्यार नहीं हो जिसको भुला दिया जाए
तुम तो मेरी जवानी की ग़ज़लों में पहरा करते हो
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Praveen Sharma SHAJAR
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मुझको जीने का हौसला दीजे
वरना रिश्तों का फ़ाएदा क्या है
Praveen Sharma SHAJAR
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बदन बदन सफ़र किया मुहब्बतों की आस में
घुटन घुटन बसर किया मुहब्बतों की आस में
मुझे ख़बर नहीं कि इश्क़ रूह का है क्या बला
बदन लहू से तर किया मुहब्बतों की आस में
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Praveen Sharma SHAJAR
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कहते हैं जिसे लोग इश्क़, प्यार, दर्द है
ख़ुशियाँ हैं इसमें झूठ मेरे यार दर्द है
जिनको ये दर्द ना मिला वो चीखते रहे
जिनको मिला उनके लिए बेकार दर्द है
ऐसा नहीं कि आज हुआ कल नहीं हुआ
ये दर्द है तो दर्द है हर बार दर्द है
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Praveen Sharma SHAJAR
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इश्क़ में पागल हो जाना भी फ़न है दोस्त
और ये दुख की बात है हम फ़नकार नहीं
Praveen Sharma SHAJAR
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अपना लिक्खा और सभी का छोड़ दिया
पल भर लिक्खा और सदी का छोड दिया
जिन पैरों में कुचल के जन्नत मिलनी थी
हमने उन पैरों का रस्ता छोड़ दिया
आज कि सर पर घर की जिम्मेदारी थी
हमने उस डोली का रस्ता छोड़ दिया
हमको सारा शहर तसल्ली देता है
हमने अपने गाँव का घर क्या छोड़ दिया
एक दिन ग़ज़ल लिखी थी दफ़्तर लेट हुआ
फिर क्या बस दफ़्तर का रस्ता छोड़ दिया
तेरे अख़बारों की ख़बरें झूठी हैं
हमने तेरा शहर तो कब का छोड़ दिया
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Praveen Sharma SHAJAR
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माना कि रात तारों को गिनना अजीब है
लेकिन किसी को नींद न आए तो क्या करे
Praveen Sharma SHAJAR
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तू ग़लत है मुझको ये शक नहीं है, अरे नहीं है, सफ़ाई मत दे
यक़ीं था मुझको, तू एक दिन तो यही करेगा, सफ़ाई मत दे
मेरा मामला तेरे ही हाथों अदालतों से बरी हुआ था
मैं जानता हूँ तू कितना अच्छा वकालती है, सफ़ाई मत दे
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Praveen Sharma SHAJAR
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मैंने इनको जिया ही नहीं था, मैं तो ग़ज़लें फ़क़त पढ़ रहा था
हाथ में डायरी ध्यान तुम पर, देख कर भी ग़लत पढ़ रहा था
Praveen Sharma SHAJAR
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