शीशे से शीशा टकराना मुश्किल है
बह्रों में ग़ज़लें लिख पाना मुश्किल है
ये ग़ालिब, अल्लामा, इंदौरी जैसा
इक उमदा शायर बन पाना मुश्किल है
माना पेशे से मैं टीचर हूँ लेकिन
चाहत का क़िस्सा समझाना मुश्किल है
कितनी भी गहरी यारी हो लड़की से
दिल में क्या है ये बतलाना मुश्किल है
रिश्तों की तुरपाई करना आसाँ है
ज़ख़्मों पर मरहम लगवाना मुश्किल है
Read Full