मिला उस शख़्स से हमको फक़त धोखा ही धोखा था
मगर फिर भी कभी हमने उसे रोका न टोका था
कभी ये भी नहीं पूछा है गर्दन पे निशाँ कैसा
हमें अंधी मोहब्बत थी हमें अंधा भरोसा था
इधर था सौत का साया उधर थे हिज़्र के बादल
हमें ऐसे भी मरना था हमें वैसे भी मरना था
हमें उससे मुहब्बत थी उसे इसका तकाज़ा था
न होते भी हुए रिश्ता ये बिल्कुल एकतरफा था
तुम्हीं ने कीर्ति दिल में ठगों को दे दिया दर्जा
तुम्हारी चाह में वरना एक से एक लड़का था
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