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Top 10 of
Swapnil Tiwari
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Swapnil Tiwari
तुम से इक दिन कहीं मिलेंगे हम
ख़र्च ख़ुद को तभी करेंगे हम
इश्क़! तुझ को ख़बर भी है? अब के
तेरे साहिल से जा लगेंगे हम
किस ने रस्ते में चाँद रक्खा है
उस से टकरा के गिर पड़ेंगे हम
आसमानों में घर नहीं होते
मर गए तो कहाँ रहेंगे हम
धूप निकली है तेरी बातों की
आज छत पर पड़े रहेंगे हम
जो भी कहना है उस को कहना है
उस के कहने पे क्या कहेंगे हम
रोक लेंगे मुझे तिरे आँसू
ऐसे पानी पे क्या चलेंगे हम
वो सुनेगी जो सुनना चाहेगी
जो भी कहना है वो कहेंगे हम
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Swapnil Tiwari
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ये जो मुसलसल हँसते हो क्यों हँसते हो
तुम यूँ भी ख़ुश लगते हो क्यों हँसते हो
छत से नीचे देख के क्यूँ होते हो ख़ुश
जब तुम रस्सी देखते हो, क्यों हँसते हो
कोई जो पूछे हाल तो कहते हो ‘अच्छा हूँ’
गर तुम सचमुच अच्छे हो, क्यों हँसते हो
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Swapnil Tiwari
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गली में बैठे हैं उसकी नज़र जमाये हुए
हमारे बस में फ़क़त इंतज़ार करना है
Swapnil Tiwari
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टेबल लैंप जला रहता है
कोना एक जगा रहता है
दो लोगों के भी घर में मुझ से
कोई न कोई ख़फ़ा रहता है
हर दस्तक बेकार हुई है
क्या इस घर में ख़ुदा रहता है
थमता नहीं है दर्द का ट्रैफिक
मेरा ज़ख़्म हरा रहता है
हादसे भी होते रहते हैं
मेरा दिल भी लगा रहता है
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Swapnil Tiwari
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जलते दिए सा इक बोसा रख कर उस ने
चमक बढ़ा दी है मेरी पेशानी की
Swapnil Tiwari
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तुमसे इक दिन कहीं मिलेंगे हम
ख़र्च ख़ुद को तभी करेंगे हम
धूप निकली है तेरी बातों की
आज छत पर पड़े रहेंगे हम
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Swapnil Tiwari
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और कम याद आओगी अगले बरस तुम
अब के कम याद आई हो पिछले बरस से
Swapnil Tiwari
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धीरे धीरे ढलते सूरज का सफ़र मेरा भी है
शाम बतलाती है मुझ को एक घर मेरा भी है
जिस नदी का तू किनारा है उसी का मैं भी हूँ
तेरे हिस्से में जो है वो ही भँवर मेरा भी है
एक पगडंडी चली जंगल में बस ये सोच कर
दश्त के उस पार शायद एक घर मेरा भी है
फूटते ही एक अंकुर ने दरख़्तों से कहा
आसमाँ इक चाहिए मुझ को कि सर मेरा भी है
आज बेदारी मुझे शब भर ये समझाती रही
इक ज़रा सा हक़ तुम्हारे ख़्वाबों पर मेरा भी है
मेरे अश्कों में छुपी थी स्वाती की इक बूँद भी
इस समुंदर में कहीं पर इक गुहर मेरा भी है
शाख़ पर शब की लगे इस चाँद में है धूप जो
वो मिरी आँखों की है सो वो समर मेरा भी है
तू जहाँ पर ख़ाक उड़ाने जा रहा है ऐ जुनूँ
हाँ उन्हीं वीरानियों में इक खंडर मेरा भी है
जान जाते हैं पता 'आतिश' धुएँ से सब मिरा
सोचता रहता हूँ क्या कोई मफ़र मेरा भी है
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Swapnil Tiwari
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मैं रोज़ रात यही सोच कर तो सोता हूँ
कि कल से वक़्त निकालूँगा ज़िन्दगी के लिए
Swapnil Tiwari
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हमारी आख़िरी सिगरेट थी ये, अरे दुनिया
जो तुझपे ग़ुस्से में हमने अभी जला ली है
Swapnil Tiwari
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