वक़्त मुश्किल कट रहा है, और तो सब ठीक है
दिल ज़रा नाशाद सा है, और तो सब ठीक है
आँख के बादल बरसते जा रहे हैं रात दिन
गाँव में सूखा पड़ा है और तो सब ठीक है
वो जो दो पौदे लगा कर तुम गए थे शहर को
उन में इक मुरझा गया है, और तो सब ठीक है
ज़ख़्म था तो दर्द से भी जी बहल जाता था कुछ
अब तो वो भी भर गया है, और तो सब ठीक है
कोशिशें करते हैं शब भर नींद पर आती नहीं
काम से जी भागता है, और तो सब ठीक है
रूह तो पहले ही तेरे साथ रुख़सत हो गई
जिस्म आधा रह गया है, और तो सब ठीक है
तेरे बिन क्या ठीक है और क्या नहीं ये तू समझ
मैने यूँ ही कह दिया है और तो सब ठीक है
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