ये जब जब रात दिन के बाद आती है - 100rav

ये जब जब रात दिन के बाद आती है
जिसे है भूलना वो याद आती है

अँधेरा काटने आता है मुझको तब
किताबों में से इक इमदाद आती है

मुहब्बत बाद ही मुझको हुआ मालूम
मुहब्बत बाद ही उफ़्ताद आती है

सुनाता हूँ तेरे क़िस्से ग़ज़ल में जब
मुअल्लिम से भी अब तो दाद आती है

ग़ज़ल बस क़ाफ़िया-पैमाई थोड़ी है
ग़ज़ल से इश्क़ की रूदाद आती है

- 100rav
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