जाते कहीं वो जब नज़र आने लगा
हाँ गूँगा भी फिर देखकर गाने लगा
सब लोग हैराँ हो गए ये देखकर
जब देखने को अंधा भी जाने लगा
आवाज़ छम छम जब लगी यूँ गूँजने
नज़दीक बहरा कान भी लाने लगा
उसकी नज़र में बस नज़र आ जाने को
गंजा भी अपने बाल सहलाने लगा
बस उसकी सूरत देखने ख़ातिर कोई
लँगड़ा था पर पैरों को दौड़ाने लगा
साज़िश दुपट्टे ने हवा से मिल के की
आँचल ज़ियादा तब सितम ढाने लगा
फिर चाँद ने की ये शिकायत या ख़ुदा
मैं चाँद हूँ वो कैसे कहलाने लगा
माना नहीं लिख पाता सौरभ अच्छा पर
पढ़ कर ये सबको याद वो आने लगा
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