लड़कपन की सभी यादों को अपने साथ लाया हूँ - Amaan Pathan

लड़कपन की सभी यादों को अपने साथ लाया हूँ
मैं हर इक ख़्वाब की ताबीर लेने आज आया हूँ

कभी तो इम्तिहान-ए-इश्क़ से राहत मिले जानम
लिखी शब भर ग़ज़ल तुझ पर तिरे ही गीत लाया हूँ

किसी इक शख़्स की बातें मुझे सोने नहीं देतीं
बरस बीते मुझे मुँह धोए मैं कल ही नहाया हूँ

इजाज़त ही नहीं दीदार की मुझ को तिरे तो अब
कोई हस्ती कहाँ मेरी कि अब मैं ख़ुद ही ज़ाया हूँ

जिसे बस देखने की आस में जीता था कल तक मैं
दिया पैग़ाम कल उस ने कि मैं तो अब पराया हूँ

मिरी जो शख़्सियत है उस को माँ ने ही तराशा है
मिरा बचपन जहाँ बीता था उस घर का किराया हूँ

रहा हूँ दूर इक अरसा तिरी नज़रों से ये माना
मगर हम-ज़ाद मैं तो आज भी तेरा ही साया हूँ

'अमान' इम्कान अब कोई नहीं है बच निकलने का
सलाम उस ने किया है और मैं फ़र्ज़-ए-किफ़ाया हूँ

- Amaan Pathan
5 Likes

More by Amaan Pathan

As you were reading Shayari by Amaan Pathan

Similar Writers

our suggestion based on Amaan Pathan

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari