वादे किए थे जिसने कभी हीर की तरह
वो भी बदल गई मेरी तक़दीर की तरह
उसने तबाह करदिया मुझको ही एक दिन
जिसको रखा सँभाल के जागीर की तरह
उसने कहा था बात को दिल से लगाना मत
दिल पर लगी थी बात वही तीर की तरह
कैसे अलग रहें भला इक दूसरे से हम
मैं और रंज हैं मियाँ हमशीर की तरह
अब क़ैद में रखेंगी तुझे उम्र भर अनस
यादें गले पड़ी हैं जो ज़ंजीर की तरह
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